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Saturday 24 March 2018

What is Sonar and Radar


What is Sonar And Radar

दोस्तो क्या आप जानते है कि Sonar और Radar क्या है और इनमें क्या अन्तर है तो दोस्तो इस पोस्ट में मैने इसी के बारे में बात की है उम्मीद है की आपको समझ में आयेगी, तो चलिए शुरु करते है।

what is sonar - सोनार क्या है?



सोनार (Sonar) एक ऐसी Technology है जो  (sound propagation) पर आधारित है Sonar का पूरा नाम Sound Navigation and Ranging है इसका प्रयोग ध्वनि प्रसार (sound propagation) के माध्यम से पानी की सतह पर अथवा उसके आसपास वस्तुओं जैसे (डूबे जहाज अथवा जहाज के मलबे) को को पता लगाने में किया जाता है यह technology महासागरों की तलाश और मानचित्रण करने में भी सहायक है, बडे से बड़े महासागरो की गहराई मापने के लिए इस Technology का प्रयोग किया जाता है। दुश्मन की पनडुब्बी का पता लगाने के लिए भी Sonar Technology का प्रयोग करते है। Sonar के द्वारा अक्सर डाक्टर Body को Scan करके Body में चल रहे हलचल का पता लगाते है।

Sonar कैसे काम करता है?


जिस तरह से डाल्फिन और व्हेल में किसी अपने रास्ते को पहचान लेते है क्यो की डाल्फिन और व्हेल में Sound-wave दूर तक भेजने तक की शक्ति होती है तो जब ये जीव Sound-Wave को भेजते है तो Wave  सामने वाले वस्तु से टकराकर जब वापस आती है तो उनको अपने रास्ते के रुकावट के बारे में पता चल जाता है जिससे वे घुमकर किसी दुसरे दिशा में चले जाते है,
ठिक उसी प्रकार Sonar Device से भेजी गयी Sound Wave उस वस्तु से टकराकर वापस आती है, जिससे हमें
महासागरो में डूबी वस्तु का पता चल जाता है और इनकी दुरी को आसानी से माप भी सकते है।
Sonar Device से निकली Sound Wave Frequency Low होती है जिससे पानी में इसकी तेज होती है ।

Type of sonar - सोनार के प्रकार?


सोनार दो प्रकार के होते हैं: सक्रिय(Active) और निष्क्रिय (Passive)

Active Sonar(सक्रीय सोनार):-  इसमें मुख्य रूप से transmitter और receiver शामिल है ! transmitter लक्ष्य की ओर उच्च आवृत्ति वाले ध्वनि तरंगों को उत्पन्न करता है और फिर ये तरंगें लक्ष्य से टकराती है और receiver को कंपन प्राप्त होता है जो लक्ष्य से वापस प्रतिबिंबित होते हैं! जिससे लक्ष्य को हम आसानी से पता लगा लिया करते है।
व्हेल और डॉल्फ़िन जैसे कुछ समुद्र के जीव भी echolocation systems का इस्तेमाल करते हैं, जो शिकारियों का पता लगाने और शिकार करने के लिए सक्रिय सोनार जैसा काम करते है।

Passive Sonar(निष्क्रिय सोनार):- ध्वनि तरंगों को प्राप्त करने के लिए Multiple receiver होते है इसलिए, यह केवल वस्तु की ओर ध्वनि तरंगों को संचारित किए बिना पानी के नीचे की वस्तुओं से आवाज़ का पता लगाता है ! यह receiver की ओर आ रही ध्वनि तरंगों का पता लगाता है और पानी के अन्दर दूर स्थित किसी वस्तु का पता हम आसानी से लगा सकते है।
Note- Sonar के Low Frequency का range ज्यादा होता है जिससे ज्यादा से ज्यादा Range के Area का वह पता लगाता है। लेकिन उससे प्राप्त की गया प्रतिबिंब का Resolution बहुत कम होता है।
जबकि  Sonar के High Frequency का Resolution ज्यादा होता है जिससे प्राप्त की गया प्रतिबिंब का Quality बढ़िया होता है। लेकिन Sonar के High Frequency का Range बहुत कम होता है।

क्या होता है रेडार ? (What is Radar):-


Radar एक ऐसी Technology है जिसका प्रयोग करके हवा में जा रही किसी चीज को हम track करके पता लगा सकते है।Radar का पूरा नाम Radio Deduction and Ranging है    Radar का अविष्कार टेलर एवं लियो यिंग (Taylor and Leo Ying) ने वर्ष 1922 में किया था
Radar एक ऐसा सिस्टम है, जो रेडियो तरंगों (Radio Wave) का उपयोग कर लक्ष्य का पता लगाता है। Radar द्वारा रेडियो तरंग भेजी जाती है जो वस्तु से टकराकर वापस आती है जिससे उस वस्तु के बारे में पता लगता है। हाल ही में ISRO (Indian Space Research organization) ने आंध्रप्रदेश के तिरुपति में गडंकी आयोनोस्फेरिक रेडार इंटरफेरोमीटर (Gandanki Ionospheric Radar Interferometer - GIRI) की स्थापना की है। इससे अब आयनमंडलीय विसंगतियों का पता लगाना संभव हो सकेगा। 

आपलोग चमगादढ़ अवश्य देखे होंगे। Radar की Technology ठीक चमगादड़ो पर आधारित है। चमगादड़ अंधेरे में भी बिना किसी वस्तु से टकराये उड़ने के लिए रेडियो तरंग या विद्युत चुंबकीय तरंगों (Electromagnetic wave) का प्रयोग करते हैं। वे उड़ते हुए पराध्वनिक तरंगें(Ultra-Sonic Wave-जिसे इसे इंसान नहीं सुन सकते) प्रसारित करते रहते हैं और दूसरी वस्तुओं से टकरा कर वापस लौटती आवाज (ध्वनि तरंगों) की मदद से चीजों का पता लगा लेते हैं। रेडार का विकास चमगादडों के साथ किये प्रयोग के आधार पर किया गया। यह दर्शाता है की रेडियो तरंगों या विद्युत चुम्बकीय तरंगों की ध्वनि और प्रतिध्वनि चीजों का पता लगाने में सहायक होती। यह यंत्र आने-जानेवाले वायुयानों की सूचना और उनकी स्थिति ज्ञात करने के काम आता है। Radar का प्रयोग हम दुश्मन के मिसाइल एवं जहाज का पता लगाने के लिए किया जाता है।

कैसे काम करता है Radar :- 
Radar एक प्रकार से रेडियो स्टेशन की तरह काम करता है। इसमें एक Transmitter और एक Receiver लगा होता है। यह Radar के एरियल से संबन्धित होता है। रेडार के Transmitter से रेडियो तरंगें निकलती है। इसका Transmitter निश्चित समयान्तराल में रेडियो तरंगों को छोटे-छोटे कंपन के रूप में हवा में समुहो में छोड़ता रहता है। यह एक सेकेंड 10 बार तरंगें संचारित करता रहता है, जो अपने लक्ष्य से टकरा कर वापस आती है। 


रेडार का Receiver रेडियो तरंगों के वापस लौटने का समय नोट कर लेता है। इसका Receiver टीवी की तरह काम करता है एवं जहाज अथवा मिसाइल जैसी दूर से आ रही वस्तु से टकरा कर लौट रही रेडियो तरंगों को स्क्रीन पर तस्वीर के रूप में प्रदर्शित करता है। इससे जहाज की दूरी, गति और सही दिशा के बारे में पता लग जाता है। दुश्मन के हवाई जहाज व ठिकानों का पता लगाने व निरीक्षण के लिए रेडार का उपयोग किया जाता है। यह Fight Plane के बारे में सैकड़ो हजारों मिल दूर से पता लगा लेते हैं। 

संयुक्त राज्य अमेरीका के सैनिक संकेत दल (Army Signal Corps) ने Radar की सहायता से सबसे पहले 19 जनवरी 1946 को चंद्रमा से संपर्क स्थापित किया था, Radar द्वारा भेजे गये संकेत को चंद्रमा तक आने जाने में 4,59,999 मील की दूरी तय करती पडी थी, Radar से छोड़ी जाने वाली तरंगो पर धुंध,कोहरे एवं अँधेरे आदि का कोई भी असर नहीं पडता है

Radar तकनीक का प्रयोग:-

आजकल Radar Technology एकदम High-tech हो चुकी है। अब सैन्य जरूरतों के अलावा हवाई यातायात परिवहन से लेकर अंतरिक्ष पर नजर रखने में भी रेडार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहें हैं। रेडार हवाई जहाजों को धरती पर सुरक्षित  ढंग से उड़ाने,उतारने, मौसम की जानकारी देने, बर्फ, धुंध बादल एवं वर्षा के बारे में सूचित करते हैं। Different कार्यों जैसे मौसम, अंतरिक्ष आदि के लिए अब कई अलग तरह के Radar प्रयोग में लाये जाते हैं।

दोस्तो उम्मीद है की यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी , दोस्तो यदि पोस्ट अच्छी लगी हो तो Share करना विल्कुल मत भूलियेगा Thank You !




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