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Sunday 10 June 2018

Financial Accounting in Hindi


नमस्कार दोस्तो Financial Accounting के पहले भाग में आपका बहुत-बहुत स्वागत है दोस्तो Financial Accounting के इस भाग में Financial Accounting से संम्बन्धित परिभाषा तथा Financial Accounting के कुछ उद्देश्य के बारे में बात की है
उम्मीद है कि यह पोस्ट आपको अच्छी लगेगी
तो दोस्तो चलिए शुरू करते है।

What is Financial Accounting (वित्तीय लेखाकंन क्या है) :-

वित्तीय लेखाकंन में हम सबसे पहले आपको लेखाकंन के बारे में बतायेंगे, लेखाकंन शब्द दो शब्दो से मिलकर बना है जिसमें पहला है लेखतथा दुसरा शब्द अंकन  है । लेख का मतलब लिखने से होता है तथा अंकन का मतलब अंको से होता है । किसी भी घटना क्रम में अंको का लिखा जाना ही लेखाकंन कहलाता है।
दुसरे शब्दो में यदि बात की जाय तो किसी खास उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए घटित घटनाओं को अंकों में लिखा जाना ही लेखांकन कहा जाता है । यहाँ पर घटनाओं से यह मतलब  है कि वे संम्पूर्ण क्रियाये जिसमें रुपयो का लेन-देन होता है ।   
लेकिन वित्तीय लेखाकंन में- प्रत्येक संस्था जो व्यवसाय में लिप्त है वह प्रत्येक वित्तीय वर्ष में सामान खरीदती है , सामान बेचती है , पैसा खर्च भी करती है , आमदनी भी होती है , कुल मिलाकर कितना खर्च होता है , कितना आमदनी होता है , किन-किन लोगो को पैसा देना है, किससे कितना पैसा लेना , कितना लाभ एवं हानि हुआ, इन सभी घटनाओ को लिखना ही वित्तीय लेखाकंन कहलाता है।
The process of cash inflow and cash outflow in any Firm is called Financial Accounting. 

वित्तीय लेखाकंन (Financial Accounting) का पूरा process GAAP नियम पर आधारित है। GAAP का पूरा नाम-Generally Accepted Accounting Principle , इसका मतलब यह है कि जो Accounting का process हम अपने India में कर रहे है  यही Accounting  का process पुरे विश्व में चलता है और यही Accounting का नियम पूरे विश्व में स्वीकार भी लिया गया है।

Objective of Financial Accounting (वित्तीय लेखाकंन के उद्देश्य):-
वित्तीय लेखाकंन के मुख्यतः चार उद्देश्य है।
First Objective of Financial Accounting:-
Financial Accounting के इस उद्देश्य के अन्तर्गत यदि कोई संस्था Business की क्रिया में लिप्त है तो संस्था में होने वाले आय (Income) एवं ब्यय (Expenses) की जाँच करना, और इन्हें वर्गीकृत ढंग से अलग-अलग शीर्षक में लिखा जाय जिससे किसी भी समय उसका सारांश ज्ञात किया जा सके, यही Financial Accounting का पहला उद्देश्य कहलाता है।
Second Objective of Financial Accounting:-
Financial Accounting के इस उद्देश्य के अन्तर्गत यदि कोई संस्था Business की क्रिया में लिप्त है तो संस्था में होने वाले लाभ (Profit) एवं हानि (Loss) की जाँच करना ही Financial Accounting का दुसरा उद्देश्य कहलाता है।
Third Objective of Financial Accounting:-
Financial Accounting के इस उद्देश्य के अन्तर्गत यदि कोई संस्था Business की क्रिया में लिप्त है तो संस्था के True Financial Position (वास्तविक वित्तीय स्थिति) की जाँच की जाती है। 
True Financial Position का अर्थ यह है कि संस्था में यह जाँचना कि संस्था को Supplier को कितना पैसा देना है , Customer से कितना पैसा लेना है , संस्था कि जिम्मेदारी क्या है , और संस्था ने पूजी कितना लगाया था
Fourth Objective of Financial Accounting:-
Financial Accounting के इस उद्देश्य के अन्तर्गत यदि कोई संस्था Business की क्रिया में लिप्त है तो संस्था में होने वाले प्रतिदिन के Transaction कि जानकारी संस्था के मालिक को देना , और इसके अलावा इन सब की जानकारी कुछ दुसरे Agencies (जैसे- Income Tax Department  and Government ) को देना होता है

Some Definition Related to Financial Accounting:-
Transaction (लेन-देन):- संस्था में लेन-देन एक ऐसी क्रिया होती है जिसमें किसी सामान को खरीदा अथवा बेचा जाता है , इस क्रिया में पैसे का भी आवागमन होता है
Type of Transaction (लेन-देन के प्रकार):-
Transaction चार प्रकार के होते है।
  1. Cash Purchase
  2. Credit Purchase
  3. Cash Sale
  4. Credit Sale

Cash Purchase :- Cash Purchase एक ऐसा transaction होता है जिसमें एक Costumer सामान खरीदता है और पैसा तुरन्त ही अदा करता है इस क्रिया को Cash Purchase कहते है। Cash Purchase हमेंशा Costumer एवं संस्था के द्वारा किया जाता है।
Credit Purchase:- Credit purchase एक ऐसा Transaction है जिसमें सामान खरीदा जाय और पैसा तुरन्त अदा किया जाय, इस प्रकार के Transaction को Credit Purchase कहते है
Cash Sale:- Cash Sale एक ऐसा Transaction होता है जिसमें सामान बेचा जाय और पैसा तुरन्त प्राप्त किया जाय , इस प्रकार के Transaction को Cash Sale कहते है।
यह Transaction तब होता है जब कोई विक्रेता अपने सामान का प्रचारप्रसार करना चाहता है।
Credit Sale:- Credit Sale एक ऐसा Transaction होता है जिसमें सामान बेचा जाय और पैसा तुरन्त प्राप्त किया जाय , इस प्रकार के Transaction को Credit Sale कहते है।
यह Transaction तब होता है जब कोई विक्रेता अपने सामान का प्रचारप्रसार करना चाहता है।
Book of Accounting:- जिस पुस्तिका में लेखा-जोखा का कार्य होता है। उस पुस्तिका को Book of Accounting कहते है।
Book Keeping:- सस्था में होने वाले , ब्यय , फायदे ,नुकसान को एक पुस्तिका में सही ढंग से व्यवस्थित करके लिखने की क्रिया Book Keeping कहलाती है।
Book Keeper:- संस्था में जो व्यक्ति Book Keeping का कार्य करता है उसे Book Keeper कहते है।
Assets:- ऐसी चीजे जो संस्था से Belong करती है उन्हे Assets (संम्पति) कहते है
जैसे- land , Cash, Furniture, Office Equipment’s etc.
Type of Assets (संम्पति के प्रकार):-
Assets दो प्रकार के होते है।
  1. Tangible Assets
  2. Intangible Assets

Tangible Assets:- एक ऐसा Assets जिसे छुवा जा सके उसे  Tangible Assets कहते है। Furniture, land  etc.
Intangible Assets:- एक ऐसा Assets जिसे छुवा ना जा सके उसे  Tangible Assets कहते है। जैसे- Fixed Deposit Cash, Bank में जमा पैसा etc.
Liabilities (उत्तरदायित्व):- liabilities ऐसी वस्तु होती है जिसे संस्था को अदा करना पड़ता है। जैसे- loan, Fixed deposit, Salary, Credit Amount etc.
Capital:- किसी भी व्यवसाय को शुरू करने के लिए जो पूंजी लगायी जाती है उसे Capital कहते है। और जो व्यक्ति पैसा लगाता है उसे Proprietor कहते है। लेकिन Company में जो व्यक्ति Share लगाता है उसे Share Holder कहते है।  

Capital=Assets-Liabilities
Goods:- Goods Business Deal में एक सामान्य शब्द है Goods किसी Company का वो वस्तु है जिसे केवल Company में लाकर मुनाफा कमाने के लिए बेचा जाता है ।

Revenue:- Revenue ऐसी धनराशी होती है जिसे Company के कार्य प्रगति से अर्जित आय को पुनः Capital Amount में जोड़कर प्रस्तुत किया जाता है। इस Amount पर संस्था के मालिक का पूर्ण स्वामित्व होता है।

Expense:- Expense का मतलब खर्च से है  एक ऐसा Amount जो संस्था के द्वारा खर्च किया जाता है उसे ही Expense कहते है।
Expenditure:- Expenditure वह खर्च है  जिसको खर्च करने पर , इससे प्राप्त सुविधा हमें कई वर्षो तक मिलता है। यदि उस खर्च के बदले प्राप्त सुविधा उसी वर्ष खत्म हो जाता है तो उसे Expense कहते है।

Stock:- कोई वस्तु जिसे बेचने के लिए खरीदा जाता है और वह वस्तु पूरी तरह बिकी नही होती है और वह वस्तु मालिक के द्वारा सुरक्षित उसी Company में रखा जाता है तो उसे Stock कहते है। यदि कोई Stock Company के Accounting year के अन्त तक रह जाता है तो उसे Closing Stock कहते है। लेकिन यदि कोई Stock ,Company के वित्तीय वर्ष के शुरुवात में होता है तो उसे Opening Stock कहते है।

Drawing:- Drawing वह Amount या goods की value है जो प्रायः company के proprietor द्वारा लिकाला जाता है। जिसे वह अपने खुद के इस्तेमाल के लिए प्रयोग करता है यह उसTrade के Capital Amount से घट जाता है।

Losses:- Loss का मतलब व्यापार में अर्जित शुन्य लाभ से है यदि Business में लगाये गये Amount से हमे कोई लाभ न हो और Business में लगाया गया Amount भी डूब जाता है तो संस्था का Loss होता है।

Invoice:- Invoice  एक रसीद अथवा एक पर्ची होती है जो एक Seller अपने customer को कोई भी वस्तु बेचने पर जारी करता है। Invoice में बेचीं गयी सभी वस्तुओ का ब्यौरा होता है। जैसे- वस्तु का नाम, किमत, मात्रा और Total Payable Amount होता है 

Voucher:- Voucher किसी भी लेन-देन के support में लिखित Document होता है यह एक प्रमाण पत्र( Evidence ) होता है।

Proprietor:- एक ऐसा व्यक्ति जो Business को Start करने के लिए पैसे लगाता है और Business से संम्बन्धित सभी Risk उठाता है उसे proprietor कहते है।

Discount:- जब कोई Seller कोई सामान बेचता है तो कभी-कभी उस सामान पर कुछ प्रतिशत छूट देता है तो इस प्रकार से वही छोड़ा गया Amount , Discount होता है।
Solvent:- ऐसा कोई व्यक्ति जिसके पास Assets हो और उस वस्तु की एक वास्तविक Value हो , जो अपनी liability को बढ़ाता है तो उसे Solvent कहेंगे। 

Insolvent:- एक व्यक्ति जिसके पास Assets हो और जिसकी liability उसकी Assets के वास्तविक मूल्य से ज्यादा है उसे Insolvent कहते है।


18 comments:

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