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Sunday 25 November 2018

Know about the ledger and ledger creation in Financial Accounting

Know about the ledger and ledger creation.
खाता-बही (Ledger) क्या है ?

खाता-बही किसी भी संस्था की (Principal Book) है जिसमें संस्था में होने वाले Transaction को संक्षिप्त व वर्गीकृत ढंग से लिखा जाता है।
इसमें प्रत्येक Account से संबन्धित लेन-देन एक ही स्थान पर लिखे जाते हैं
ऐसा करने का  यह उद्देश्य होता है कि एक निश्चित समय में एक खाते से संबंधित लेन-देनों की स्थिति की जानकारी प्राप्त की जा सके।

खाता-बही में समस्त व्यक्तिगत, वास्तविक एवं अवास्तविक और नाममात्र खाता (Nominal Account) रखे जाते हैं। साधारणतया, खाता-बही रजिस्टर के रूप में होती है। इसके प्रत्येक पृष्ठ पर पृष्ठ संख्या अंकित होती है। जिसे लेजर फोलियो (ledger folio) कहते हैं।
खाता-बही (Ledger) की आवश्यकता व महत्व :-
  • सूचना प्राप्त करने की उद्देश्य से खाता-बही (ledger) को लाभदायक माना गया है क्योंकि इससे श्रम एवं समय की बचत होती है।
  • खाता-बही (ledger) से हमे इस बात की जानकारी होती है कि संस्था को किस व्यक्ति को कितना देना है और किससे कितना लेना है।
  • खाता-बही (ledger)  से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर व्यवसाय की उन्नति के लिए भावी योजनाओं के बनाने में सहायता मिलती है।
  • खाता-बही (ledger)  से व्यक्तिगत खाता, वास्तविक खाता तथा नाममात्र खाता से संबंधित सभी खातों की अलग-अलग एवं पहले की पूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
  • खाता-बही (ledger)  से सम्पत्तियों एवं पूँजी व दायित्वों की स्थिति के संबंध में भी जानकारी प्राप्त होती है।
  • न्यायालय में वित्तीय विवादों के संबंध में खाता-बही (Ledger) प्रमाण( Evidence ) का कार्य करती है।

Rule For Creating Ledger (खाता-बही बनाने के नियम):-
Ledger बनाने के लिए Journal में सभी Account Head को गिना जाता है फिर उसके बाद क्रमानुसार प्रत्येक Account head से सम्बन्धित दुसरे Account को ,उस Account के अन्तर्गत रखा जाता है। जिस Account के अन्तर्गत किसी दुसरे Account को रखा जाता है यदि वह Journal में Debit भाग में है तो उसे Ledger में Credit भाग में लिखा जाता है। लेकिन यदि वह Account, Journal में Credit भाग में है तो उसे Debit भाग में रखा जाता है। और फिर बाद में Ledger की Balancing की जाती है ।
जैसे- निचे दिये गये Journal का यदि Ledger बनाना होतो-
Creating Ledger of above Journal:-
Rule for Balancing Ledger:-
दिये गये Transaction का Journal , और Journal के बाद Ledger बनाने के बाद Ledger को Balancing करने की आवश्यकता होती है। जिससे कि आगे Process जैसे- Trial Balance, Trading Account, Profit & Loss Account और Balance sheet तैयार कर सके।
Ledger को Balance करने के लिए कुछ नियम है जो की निम्ननिखित है।
यदि किसी Ledger को Balance करना होतो सबसे पहले प्रत्येक Account के Amount को अलग-अलग जोड़ते है और दोनो तरफ के Amount का Difference प्राप्त करते है। Difference प्रात्त करने पर यदि Amount Debit भाग में कम होता है तो आवश्यक Amount Debit भाग में  To Balance b/d करके जोड़ देते है । तथा उसके विपरित Credit Side में By Balance b/d करके  वही Amount लिख देते है ।
लेकिन यदि Amount Credit Side में कम है तो आवश्यक Amount Credit Side में By Balance c/d करके जोड़ देते है। तथा इसके विपरित Debit Side में  To Balance b/d करके वही आवश्यक Amount लिखते है।
Advantage of balancing Ledger:-
Ledger को Balance करने से हमें यह ज्ञात होता है कि हम Accounting के आगे के Process को कर सकते है । इसके अलावा हम यह भी पता कर सकते है कि Ledger की सही ढंग से बना है की नही ।
Balancing of the Above Ledger:-

Trial Balance:-
Trial Balance एक प्रकार का book statement होता है जिससे यह ज्ञात होता है कि कोई भी Book Keeper Ledger की Balancing सही ढंग से किया है की नही, इसके अलावा हम Trial Balance से ही Trading Account, Profit & Loss Account  और Balance Sheet बनाते है।
Creating Trial Balance:-
Trial Balance बनाने के लिए Book of Account को दो भागो में बाटा जाता है एक Debit भाग तथा दुसरा Credit भाग होता है  Ledger के सभी b/d वाले भाग को Trial Balance में शामिल करते है। यदि ledger में b/d का Amount debit side में है तो Trial balance में debit side में लिखा जाता है। लेकिन यदि ledger में b/d का amount credit side में है तो trial balance में भी credit side में लिखा जाता है।


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